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मैं ख़ामोश हू मेरी ये दीवारें शोर करती है,मैं रात से जितना भागती हूं ये उतना ही मुझे तेरी और करती है,कहने को तो वो शाम अभी बाकी है ,के मेरे नाम का वो जाम अभी बाकी है ।